समता सैनिक दल 👮
रविवार दि. 17 अप्रैल 2016 को दीक्षाभूमी, नागपूर यहाँ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजी के साहित्यपर चर्चात्मक अध्ययन के तौर पर निम्नलिखित विषयवर अभ्यासात्मक चिंतन किया गया।
विषय : विद्यार्थियों के भविष्य का निर्माण विश्वविद्यालय में होता है इसलिए विद्यार्थियों ने सजग रहना चाहिये। ( Vol.18, Part 3)
मुंबई में एल्फिनस्टन कॉलेज में सोमवार दि. १५ डिसेंबर १९५२ को आयोजित किये गए समारोह में संबोधित करते हुए बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी कहते है की, आजकल के विद्यार्थी विश्वविद्यालय के कामकाज में जरा भी ध्यान नही देते। विद्यार्थियों ने क्या पढ़ना चाहिये ये विश्वविद्यालय भले ही तय करता होगा लेकिन हम जो पढ़ रहे है क्या वह वाकई में हमारे बौद्धिक विकास के लिये पोषक तथा आवश्यक है इस और भी विद्यार्थियों ने ध्यान देना चाहिये। उनके भविष्य की निवं यही रखी जाती है और वह विद्यार्थी राष्ट्र का आदर्श नागरिक होगा या उसका जीवन विफल होगा यह भी विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम ही तय करता है इसलिए विश्वविद्यालय की हर गतिविधियों पर विद्यार्थियों की कड़ी से कड़ी नजरे होनी चाहिये। लेकिन आजकल के विद्यार्थी इस बारे में काफी लापरवाह दिखाई देते है। विश्वविद्यालय से उपाधि हासिल करने के बावजूद भी विद्यार्थियों को तत्वज्ञान का जरा भी स्पर्श नहीं होता यह बेहद शर्मनाक बात है। यह सारी बाते विद्यार्थियों ने खुद जानकर-समझकर कौनसी शिक्षा उन्हें विश्वविद्यालय से मिलनी चाहिये इस बात का वे आग्रह करे ताकि नये -नये जीवनमूल्यों को विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर सके।
आजकल के विद्यार्थी इतिहास में जो लोग प्रज्ञावान और प्रतिभावान हुये है उनके तत्वज्ञान का और साहित्य को मन लगाकर पढ़ते नज़र नहीं आते। इसके विपरीत वो फुटबॉल ,क्रिकेट और खोखली राजनीती में व्यस्त नज़र आते है जिसके कारण वे अपनी दिव्यदृष्टि प्राप्त नहीं कर पाते। विश्वविद्यालय के शिक्षकगण भी स्वयंप्रेरणा से प्रेरित होकर विद्यादान करते नज़र नहीं आते और उसके लिये लगनेवाला निरंतर अभ्यासात्मक परिश्रम करने की उनकी तैयारी भी नहीं है। सिर्फ कक्षा में वक्त गुजारने की एकमात्र मंशा के कारण ही शायद यह शिथिलता उनमे दिखाई देती होगी जिसका परिणाम यह है की विचारप्रवर्तक ज्ञान विद्यार्थियों को देने में वो असमर्थ दिखाई देते है। केबन कहते है कि, ‘Knowledge is Power.’ अतएवं विद्यार्थियों को अपने देश का विकास तथा उद्धार करना हो तो उन्होंने विश्वविद्यालय के कामकाज में, गतीविधियों पर जरुर ध्यान देकर अपने अधिकारों के लिये सदैव संघर्षरत रहना चाहिये इसीमें उनका हित समाहित है।
सामुहिक चर्चात्मक अध्ययन का समय हर रविवार सुबह 9 से 11 स्थल : दीक्षाभूमी, नागपूर.
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समता सैनिक दल,
HQ, दीक्षाभूमी, नागपूर.